
क्या शादी ज़रूरी है...? -इक़रा असद

लडकियों के सपने शादी को लेकर इतने अंधे होते हैं कि वो सच्चाई से परे अपनी अलग दुनियाँ बसा लेती हैं, जहाँ सब कुछ उनके मन का होता है। शायद यही वजह है कि एक उम्र के बाद लड़की, "शादी" को ही अपना सबसे बड़ा सपना मान लेती है और जब उसका ये सपना पूरा नहीं होता तो उसके लिए दुनियाँ ही खत्म हो जाती है। तो मैं आपको उस लड़की के बारे में बता रही थी जो नींद ना आने की मरीज हैं। ऐसा नहीं है उसे नींद नहीं आती थी। मुझे याद है वो क्लास में बैठे - बैठे सो जाती थी और अब वो दवाई खाकर भी नहीं सो पाती, दवाइयों ने उसे इतना चिड़चिड़ा बना दिया है कि उसे लगता है कि वो बोझ है, उन माँ बाप के ऊपर जो बचपन से उसे पाल रहे थे। अब उसे उसके घरवाले भी पसंद नहीं आते क्योंकि वो भी इस उम्मीद में हैं कि कब वो दुल्हन बनेगी। ये वही लोग हैं, जो उसे बचपन में सफ़ेद घोड़े वाले राजकुमार की कहानी सुनाकर कहते थे "तेरे लिए भी ऐसा ही राजकुमार आएगा" अब उसे सब कुछ खटकता है। शायद कभी-कभी अपना सजना संवरना भी, क्योंकि वो सोचती है शादी ही वो जादू की छड़ी है जिसके फेरते ही वो पहली जैसी हो जायेगी। अरे पागल! जादू की छड़ी तो बस उन नानी और दादी की कहानियों में होती थीं जो राजकुमारी की हर फरमाइश को पूरा कर देती। तुम या मैं, कोई राजकुमारी नहीं हैं, हम तो वो कठपुतलियाँ हैं जो समाज के बनाये नियमों पर चलती हैं; पर इन नियमों पर हमेशा चलना भी जरुरी नहीं होता, तुम इन्हें तोड़ भी सकती हो। खासकर उन नियमों को जिसने तुम्हे बीमार बना दिया है।
पढ़ी-लिखी सुन्दर सी उस लड़की ने मार लिया है खुद को। उसने ही क्यों! वो हर लड़की मार ही लेती है अपने हर सपने को,अपनी ख्वाहिश को,अपने अंदर छुपे प्यार को,अपनी हंसी को, जिसकी किसी ना किसी कारण से शादी नहीं हो पाती। मैं ये नहीं कहती कि ये सपनों वाली दुनियाँ झूठी होती है। कुछ भी मन का नहीं होता ऐसा नहीं है, यक़ीनन किसी का साथ होने से बड़ा कोई दूसरा सुख नहीं, पर ये साथ कितने समझौते लाता है ये तुम्हे उस दुनियाँ में आने के बाद पता लगेगा।

मैं उसे क्या कहकर समझाऊं कि शादी दुखो का अंत नहीं होता, शादी तुम्हारे सपनों की मंजिल नहीं थी। शादी के बाद तुम्हें कुछ भी अतरिक्त नहीं मिलता, सिवाय उन खामियों के जो अब तक तुम्हारे परिवार ने उजागर नहीं की थी।
तुम एक अच्छी बेटी तो आसानी से बन गयी हो पर, इससे आगे वाली सीढ़ी पर खड़ा रहने के लिए तुम्हें अपने अंदर से सपने निकालकर फेंकना होगा और वो तुम्हारें तमाम सपनें होंगें, जिन्हें तुमने कागज़ के उन पन्नों में जोड़ा है जिसे तुम "डिग्री" कहती हो।
तो जी लो... क्योंकि समय के साथ ये सपने खुद व् खुद दूर हो जायेंगे और अक्सर इन सपनों के बारे में सोचकर तुम्हें नींद भी नहीं आएगी......!
-इक़रा असद
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