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Image by Leo Chane

पलटकर देख लेते तुम


वो लम्हा भी कितना ज़हनसीब था जब हम दोनों साथ में बैठे थे

मैं तुम्हें चुपके से देख रहा था, और तुम अचानक से चहक उठे थे

वो शाम उस पल अलग ही करिश्मा दिखा रही थी

रह रह के वो हल्की हल्की हवाएं तेरी जुल्फों को चेहरे पे ला रही थी

और मैं थोड़ा डरते हुए तेरे बालों को चेहरे से हटाकर देखना चाहता लेकिन तुम संवार लेती थी

मगर उस शाम को क्या पता था, कि वो फिर भी मेरे लिए कितनी खूबसूरत यादें बना रहा था।


वो तुम्हारे साथ उस तालाब के किनारे घंटों बैठना, मानो उसी पल का तो कबसे इंतजार था

वो तुम्हारे हाथ की उंगलियों का मेरे हाथ की उंगलियों में जकड़ा होना ही तो एक तरह का प्यार का इजहार था

वैसे सच कहूं तो तुम्हें शायद कभी पता ही नहीं चला कि मैं तुमसे कितना प्यार करने लगा था

काश उस रात जाते वक्त पलटकर देख लेते तुम मेरी आंखों में तुमसे अलग होने का दर्द,

कि मैं तुमसे बिछड़ के कितना दर्दसार था।


वैसे अच्छा ही हुआ जो हुआ, क्योंकि अगर तुम मुझे पलटकर देख लेते,

तो यकीनन मुझे छोड़कर जा नहीं पाते

और अगर नहीं जाते तो आज शायद हम खुदको तुमसे दूर करके इतना मजबूत बना नहीं पाते

वो कहते हैं ना, बिना कुछ खोए कुछ हासिल नहीं होता है ज़िंदगी में, तो तहे दिल से शुक्रिया हैै आपका, हमारी ज़िंदगी में आके उथल पुथल करने के लिए

क्योंकि अगर आप नहीं आते,

तो शायद कभी हम अपने आपको ऐसे पा नहीं पाते

अपनी ज़िंदगी को इतना बेमिसाल बना नहीं पाते।


-मयंक शुक्ला