मेरे कान्हा मुरली वाले!

एक छोटे से मंदिर में
तेरे नाम की में लाऊं मुरत...
कृष्णा
लगती कितनी प्यारी और
है कितनी भोली तेरी सूरत...।।
तेरी मुरत को में बड़े प्यार से सजाऊं
धुप दीप नैवेद्य सब चढ़ाऊ..
उज्वल करू मैं भक्ति की ज्वाला
तेरे गले में सजाऊं फूलों की माला...।।
मां यशोदा से छुप कर तूने माखन चुराए
नटखट नंदलाल तूने कितने ही रास रचाए..
अपनी राधा के लिए बंसी बजाया
यमुना तट पर जाकर गोपियों के वस्त्र चुराया....।
सबका मन हो जाता था तेरे वश में
मुरलीधर क्या था तेरे मुरली की मधुर रस में...
मित्र सुदामा का तूने किया उद्धार
खाकर उनका दिया हुआ आहार....।।
माखन लाया मैं तुझे भोग लगाने को
मेरा मन तरसता है तेरे दर्शन पाने को..
भगवन करो स्वीकार मेरी भक्ति...।।
सजदे में झुका कर अपना शीश
करता हूँ तेरी भक्ति तुझसे कुछ फरियाद नही ..
बस खुशियों से भर दे झोली सबकी
पूरी कर दो कान्हा मेरी ये मुराद...।।।
कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना!
-तुषार गोयल