रिश्ते
Updated: Sep 18, 2020

वह अब नज़र भी नहीं आते है ।।
ना जाने लोग जमाने की हवा में
इतना कैसे बदल जाते हैं ।
कभी कोमल रहते थे
तो कभी वो सख़्त हो जाते थे।।
रिश्तों की लाज की खातिर
साथ खड़े वो हर वक़्त हो जाते थे ।।
हम हसे थे संग रोए भी थे
हर रात खुशी में खोना मंज़ूर था ।।
वो बिछड़ तो गए बड़े आसान तरीके से
पर आज भी धुड़ते है कि किसका कूसूर था ।।
बेपरवाह इश्क़ था
हद से ख़ूबसूरत वादे थे ।।
कुछ गुज़र जाने की कसमें थी
पर शायद हा थोड़े कमज़र इरादे थे ।।
-शांतनु शर्मा
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