कसूर

उन्होने कहा कि अगर लड़कियों के साथ कुछ गलत होता है, तो इसका कारण उनके कपड़े पहनने का तरीका है, चलो इसे मान लेते हैं।
नन्हीं आंखें, मूडी उँगलियाँ,
अरे !वह तीन साल की बच्ची थी,
वह तो खेल रही थी,
उसका क्या कसूर था?
नन्हे पांवों, कंधों पर बैगों का भार,
अरे! वह आठ साल की बच्ची थी,
स्कूली यूनिफॉर्म में,
उसका क्या कसूर था?
माना अकेली है वो ,लेकिन किसी की बेटी है वो,
अरे! वो बीस साल की परिपक्व लड़की थी,
सलवार सूट में,
उसका क्या कसूर था?
माना बड़ी है वो, मगर किसी की मां है वो,
अरे! वो पैंतीस साल की एक स्त्री थी,
साड़ी में,
उसका क्या कसूर था?
उसका कसूर यह है,
कि उसने तुम्हें इंसानियत और हैवानियत में फर्क ना सिखलाया,
उसका कसूर यह है,
कि उसने तुम्हें मनुषयता और पशूता में फर्क ना सिखलाया।
उसका कसूर यह है,
कि उसने मान लिया कि कसूर उसका ही है।
-दर्शिका शर्मा